साइनस / माइग्रेन नाक का एक रोग

साइनस / माइग्रेन नाक का एक रोग

दिशा आरोग्य धाम भारत का No1 आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सालय

साइनस / माइग्रेन नाक का एक रोग

हमारा लक्ष्य हैं भारत को साइनस / माइग्रेन रोग से मुक्त बनाना। आयुर्वेद  प्राकर्तिक चिकित्सा और पुरानी पद्धतियाँ जो विलुप्ति की कगार पर हैं। उन पद्धतियो को दोबारा जीवन देकर अपने देश और समाज को रोग मुक्त जीवन देकर कर सदृढ़ बनाना  हैं।

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साइनस , माइग्रेन नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। नाक बंद होना,  आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना, आंखों में या किनारों पर दर्द,  तनाव, निराशा  चेहरे पर सूजन, नाक और गले में कफ गिरना इस रोग के लक्षण हैं।  इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुवां बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे चलकर अस्थमा, दमा जैसी गंभीर रोग में भी बदल  जाता है।

साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती ही है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है।

सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर ‘दुष्ट प्रतिश्याय’ में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है।

आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय  और पक्व प्रतिश्याय ‘ के नाम से जाना जाता है। आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अंदर की हड्डी का बढ़ जाती है या तिरछा हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में रुकावट आती है। ऐसे रोगी को जब भी ठंडी हवा या धूल, धुवां उस हड्डी पर टकराता है तो एलर्जी शुरू हो  जाती है।

साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने में मदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में हवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और गंदगी को रोकती है और बाहर फेंक दी जाती है  बलगम निकलने का मार्ग रुकता है तो वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर  झिल्ली में सूजन आ जाती है।

सूजन के कारण हवा की जगह  बलगम भर जाता है, इस वजह से माथे, गालों व ऊपर के जबाड़े में दर्द होने लगता है। इस रोग में लगातार नाक बहती रहती है और कुछ चिकित्सक इसे सामान्य सर्दी समझ कर इसका इलाज करते हैं। सर्दी तो सामान्यतः तीन-चार दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन इसके बाद भी इसका संक्रमण जारी रहता है।

दिशा आरोग्य धाम भारत का पहला आयुर्वेदिक ओर प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान हैं जिन्होंने भारतिय जड़ी बूटियों द्वारा साइनस माइग्रेन के उपचार की खोज हैं वह भी मात्र 1 दिन के उपचार से सम्भव किया है।

नॉट:-साइनस माइग्रेन के इलाज लिए एलोपैथी चिकित्सा में ऑपरेशन ही एक मात्र उपचार हैं या उम्र भर के लिए एंटीबायटिक दवाओं को दिया जाता हैं वही इलाज हमारे संस्थान में आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मात्र 1दिन में 100% सफलता पूर्वक किया जाता हैं

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