Cesarean Is Not Good Health Of Mother and Child

Cesarean Is Not Good Health Of Mother and Child

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सुविधा के नाम पर सिजेरियन (Cesarean) का रास्ता अपनाना मां-बच्चे (Mother-Child) की सेहत के लिए सही नहीं 

सिजेरियन (Cesarean) डिलीवरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मां के पेट में चीरा लगाकर बच्चे को जन्म दिया जाता है। आज के समय में यह प्रक्रिया बहुत आम हो गई है, लेकिन इसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

मां पर प्रभाव:

  • संक्रमण का खतरा
  • रक्तस्राव की समस्या
  • एनेस्थीसिया से जटिलताएं
  • लंबी रिकवरी अवधि

बच्चे पर प्रभाव:

  • श्वसन संबंधी समस्याएं
  • इम्यून सिस्टम का कमजोर विकास
  • दमा और मोटापे का बढ़ता जोखिम

यह लेख सिजेरियन डिलीवरी के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है। जब तक चिकित्सकीय आवश्यकता न हो, प्राकृतिक प्रसव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सिर्फ सुविधा के लिए सिजेरियन का विकल्प चुनना मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

नवजात के मानसिक विकास को प्रभावित करता है सिजेरियन प्रसव

सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों के मानसिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रभाव कई स्तरों पर देखा जा सकता है:

  • मातृ-युवावस्था का कम अनुभव: प्राकृतिक प्रसव की तुलना में सिजेरियन में बच्चे को मां के साथ कम समय मिलता है। यह समय नवजात के भावनात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • आवश्यक बैक्टीरिया की कमी: नॉर्मल डिलीवरी के दौरान बच्चे को मां के योनि मार्ग से गुजरने के दौरान महत्वपूर्ण बैक्टीरिया मिलते हैं। ये बैक्टीरिया:
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं
  • मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं
  • पाचन तंत्र के विकास में सहायक होते हैं
  • तनाव हार्मोन का स्तर: सिजेरियन से जन्मे बच्चों में कॉर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का स्तर अधिक पाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, ये बच्चे अधिक चिंतित और तनावग्रस्त हो सकते हैं, जो उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।एक अस्पताल के माहौल में माँ अपने नवजात शिशु को गोद में लिए हुए हैं, जो स्नेह और देखभाल का अहसास कराता है। हल्की रोशनी और नरम रंगों के साथ।

सिजेरियन के स्वास्थ्य पर प्रभाव

सिजेरियन प्रसव के दौरान माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। यह जटिल प्रक्रिया कई स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म देती है।

मातृ स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • संक्रमण का खतरा: सर्जरी के बाद घाव में संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है
  • रक्तस्राव: सामान्य प्रसव की तुलना में अधिक रक्त की हानि
  • एनेस्थीसिया से जटिलताएं: बेहोशी की दवाओं से एलर्जिक प्रतिक्रियाएं
  • दीर्घकालिक प्रभाव:
  • गर्भाशय में निशान
  • भविष्य की गर्भावस्था में जटिलताएं
  • पेट की मांसपेशियों में कमजोरी

शिशु स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • श्वसन समस्याएं:
  • सांस लेने में कठिनाई
  • फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमाव
  • ट्रांजिएंट टैकीप्निया की स्थिति
  • प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव: सिजेरियन जन्म से पैदा हुए बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास में कमी हो सकती है, जिससे उन्हें कुछ संक्रमणों के प्रति संवेदनशील बना सकता है।

सिजेरियन की तुलना प्राकृतिक जन्म से

प्राकृतिक जन्म और सिजेरियन प्रसव में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। प्राकृतिक जन्म में मां और बच्चे को कई लाभ मिलते हैं:

प्राकृतिक जन्म के लाभ:

  • मां का शीघ्र स्वास्थ्य लाभ
  • कम दर्द और जल्द ठीक होने की प्रक्रिया
  • स्तनपान में आसानी
  • बच्चे को बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास

सिजेरियन के नुकसान:

  • लंबी रिकवरी अवधि
  • सर्जरी के बाद जटिलताएं
  • भविष्य में गर्भधारण में कठिनाई
  • अधिक खर्चीला

प्राकृतिक जन्म के दौरान शरीर में उत्पन्न होने वाले हार्मोन्स मां और बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन को मजबूत बनाते हैं। यह प्रक्रिया बच्चे के मस्तिष्क विकास में भी सहायक होती है।

सिजेरियन प्रसव में कृत्रिम प्रक्रिया के कारण यह प्राकृतिक लाभ नहीं मिल पाते।एक अस्पताल का कमरा, जहां एक गर्भवती महिला प्रसव के लिए तैयार हो रही है। चिकित्सा उपकरण और डॉक्टर/नर्स समर्थन में हैं, प्राकृतिक रोशनी से भरा।

गैर-मेडिकल कारणों से बढ़ती सिजेरियन दरें

आज के समय में सिजेरियन प्रसव की दर तेजी से बढ़ रही है। यह वृद्धि मेडिकल आवश्यकताओं से कम और गैर-मेडिकल कारणों से अधिक हो रही है।

प्रमुख गैर-मेडिकल कारण:

  • माँ की व्यक्तिगत पसंद और सुविधा
  • तय तिथि पर बच्चे का जन्म कराने की इच्छा
  • प्राकृतिक प्रसव की पीड़ा से बचने का प्रयास
  • डॉक्टर्स द्वारा समय की बचत

सिजेरियन की बढ़ती दर एक चिंताजनक रुझान है। कई अस्पताल बिना मेडिकल जरूरत के भी सिजेरियन की सलाह देते हैं। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गर्भवती महिलाएं अक्सर डॉक्टर्स के दबाव में आकर या सुविधा के लिए सिजेरियन का विकल्प चुनती हैं। यह प्रवृत्ति विशेषकर शहरी क्षेत्रों में अधिक देखी जा रही है।

अनुसंधान और अध्ययन के निष्कर्ष

विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों ने सिजेरियन प्रसव के दीर्घकालिक प्रभावों को उजागर किया है। प्रमुख शोध निष्कर्ष:

  • बच्चों में मोटापे का जोखिम 15% तक बढ़ जाता है
  • एलर्जी और दमा की संभावना 20% अधिक पाई गई
  • पाचन संबंधी समस्याएं 25% अधिक देखी गईं

शैक्षणिक प्रदर्शन पर भी प्रभाव दिखाई देता है। एक अध्ययन के अनुसार सिजेरियन से जन्मे बच्चों में:

  • पढ़ने-लिखने की क्षमता में 10% कमी
  • एकाग्रता में कमी की समस्या
  • सामाजिक कौशल विकास में देरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सिजेरियन दर 40% तक पहुंच गई है, जो चिंता का विषय है।

दिशा आरोग्य धाम के जानकारों का कहना है कि तकनीक बहतर होते जाने के साथ सिजेरियन प्रसव को लेकर लोगों का भरोसा भी बढ़ता

तकनीकी प्रगति के साथ सिजेरियन प्रसव की प्रक्रिया में सुधार आया है, लेकिन इसके साथ कुछ चिंताजनक रुझान भी सामने आए हैं। दिशा आरोग्य धाम के विशेषज्ञों ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है:

  • सिजेरियन प्रसव को एक सुविधाजनक विकल्प मानकर अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है
  • कई लोग बिना चिकित्सकीय आवश्यकता के भी इस विकल्प को चुन रहे हैं
  • शहरी क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति अधिक देखी जा रही है

वैश्विक आंकड़े चिंताजनक स्थिति दर्शाते हैं:

  • अमेरिका में 2017 में 32% जन्म सिजेरियन के माध्यम से हुए
  • भारत के शहरी क्षेत्रों में भी यह प्रतिशत निरंतर बढ़ रहा है

कुछ अन्य बीमारियों की भी रहती है आशंका

सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएं देखी गई हैं। शोध से पता चला है कि इन बच्चों में अस्थमा का खतरा 20% तक बढ़ जाता है। साथ ही एलर्जी की समस्या भी अधिक देखी जाती है।

दिशा आरोग्य धाम के विशेषज्ञों के अनुसार सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में:

  • श्वसन संबंधी समस्याएं
  • मोटापा
  • टाइप-2 डायबिटीज
  • पाचन संबंधी विकार
  • इम्यून सिस्टम की कमजोरी

ये समस्याएं आम तौर पर देखी जाती हैं। विशेष रूप से इम्यून सिस्टम का कमजोर होना चिंता का विषय है। प्राकृतिक प्रसव के दौरान बच्चे को मां के योनि मार्ग से गुजरते समय महत्वपूर्ण बैक्टीरिया मिलते हैं, जो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं।

सिजेरियन प्रसव में यह प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित होती है। इससे बच्चेएक नन्हे बच्चे की शांतिपूर्ण तस्वीर, जो नरम पेस्टल रंगों में सो रहा है, चारों ओर मुलायम खिलौने और आरामदायक कंबल के साथ।

सिजेरियन के कारण बच्चे के मानसिक विकास पर पड़ने वाले असर

सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में जन्म के समय उच्च तनाव स्तर देखा गया है। यह तनाव उनके मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। शोध से पता चला है कि इस तरह के तनाव से न्यूरोट्रांसमीटर्स का असंतुलन हो सकता है, जो बच्चे की सीखने की क्षमता को कम कर सकता है।

मातृ-शिशु बंधन पर प्रभाव:

  • प्राकृतिक प्रसव की तुलना में सिजेरियन में मां और बच्चे का तत्काल शारीरिक संपर्क कम होता है
  • यह कमी बच्चे के भावनात्मक विकास को प्रभावित करती है
  • स्तनपान में देरी से बच्चे का पोषण और सुरक्षा प्रभावित होती है

संज्ञानात्मक विकास में बाधाएं:

  • समस्या समाधान क्षमता में कमी
  • सीखने की गति धीमी
  • एकाग्रता में कठिनाई
  • याददाश्त संबंधी समस्याएं

विशेषज्ञों का मानना है कि सिजेरियन प्रसव के दौरान बच्चे को मिलने वाले महत्वपूर्ण हार्मोनल संकेतों की कमी भी इसके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

सिजेरियन से जन्मे बच्चों को आगे चलकर कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है

सिजेरियन से जन्मे बच्चों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम देखे गए हैं। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है कि इन बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं अधिक पाई जाती हैं:

मेटाबॉलिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ते हैं:

  • बचपन में मोटापे का खतरा 40% तक बढ़ जाता है
  • टाइप-1 डायबिटीज का जोखिम 20% अधिक होता हैएक नवजात शिशु का अस्पताल में चित्र, जिसमें स्वास्थ्य जोखिमों के प्रतीक जैसे स्टेथोस्कोप और वृद्धि चार्ट हैं, सौम्य और देखभाल भरे माहौल में।

सिजेरियन प्रसव से नवजात में ऑटिज्म का खतरा 33 फीसदी तक बढ़ जाता है।

वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में ऑटिज्म का जोखिम 33% तक बढ़ जाता है। यह आंकड़े चिंताजनक हैं और माता-पिता के लिए गंभीर विचार का विषय हैं।

प्रमुख जोखिम:

शोधकर्ताओं का मानना है कि सिजेरियन प्रसव के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन और तनाव बच्चे के मस्तिष्क विकास को प्रभावित करते हैं। प्राकृतिक प्रसव के दौरान जारी होने वाले महत्वपूर्ण हार्मोन्स से बच्चा वंचित रह जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार:

सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बच्चे को यो

सही निर्णय लेना

सिजेरियन प्रसव का निर्णय लेने से पहले योग्य चिकित्सक से विस्तृत परामर्श आवश्यक है। डॉक्टर से निम्न बिंदुओं पर चर्चा करें:

सिर्फ सुविधा के लिए सिजेरियन का विकल्प चुनना उचित नहीं है। प्राकृतिक प्रसव की तैयारी के लिए:

  1. नियमित प्रसव-पूर्व जांच करवाएं
  2. योग और व्यायाम करें
  3. संतुलित आहार लें
  4. प्रसव के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें

याद रखें: सिजेरियन एक मेडिकल आवश्यकता होनी चाहिए, न कि एक विकल्प।

निष्कर्ष

प्रसव के समय सिजेरियन का विकल्प चुनना एक जटिल निर्णय है। यह महत्वपूर्ण है कि हम संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं और मां-बच्चे की सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

सिजेरियन प्रसव के लिए मुख्य बिंदु:

  • चिकित्सकीय आवश्यकता होने पर ही इस विकल्प को चुनें
  • सिर्फ सुविधा के लिए सिजेरियन से बचें
  • विस्तृत जानकारी और परामर्श के बाद ही निर्णय लें
  • प्राकृतिक प्रसव के फायदों को समझें

मां और बच्चे की दीर्घकालिक सेहत के लिए यह आवश्यक है कि हम सिजेरियन को एक आपातकालीन विकल्प के रूप में देखें, न कि एक सामान्य चुनाव के रूप में। डॉक्टर से विस्तृत चर्चा करें और अपनी स्थिति के अनुसार सोच-समझकर निर्णय लें।

“सिजेरियन का रास्ता अपनाना मां-बच्चे की सेहत के लिए सही नहीं है, जब तक कि यह चिकित्सकीय रूप से आवश्यक न हो।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सिजेरियन प्रसव क्या है?

सिजेरियन प्रसव एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें बच्चे को जन्म देने के लिए मां की पेट की दीवार को काटा जाता है। यह प्रक्रिया सामान्य प्रसव के मुकाबले अधिक जटिल होती है।

क्या सिजेरियन प्रसव मां और बच्चे की सेहत के लिए अच्छा है?

सुविधा के नाम पर सिजेरियन का रास्ता अपनाना मां-बच्चे की सेहत के लिए सही नहीं होता। यह प्राकृतिक प्रसव की तुलना में कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

सिजेरियन प्रसव का नवजात के मानसिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सिजेरियन प्रसव नवजात के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है क्योंकि इसमें बच्चे को प्राकृतिक जन्म की तरह मातृ-युवावस्था का अनुभव नहीं मिलता, जिससे उनका मानसिक विकास बाधित हो सकता है।

प्राकृतिक प्रसव और सिजेरियन प्रसव में क्या अंतर है?

प्राकृतिक प्रसव में बच्चा गर्भाशय से स्वाभाविक रूप से बाहर आता है, जबकि सिजेरियन प्रसव में इसे ऑपरेशन द्वारा निकाला जाता है। प्राकृतिक प्रसव में नवजात महत्वपूर्ण बैक्टीरिया प्राप्त करता है, जो उनके इम्यून सिस्टम के लिए आवश्यक होते हैं।

सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में तनाव हार्मोन का स्तर क्यों अधिक हो सकता है?

सिजेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में तनाव हार्मोन का स्तर अधिक हो सकता है क्योंकि उन्हें प्राकृतिक वातावरण और मातृ-युवावस्था का अनुभव नहीं मिलता, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

क्या सिजेरियन प्रसव के फायदे भी हैं?

हां, सिजेरियन प्रसव के कुछ फायदे हो सकते हैं जैसे कि जटिलताओं वाले मामलों में सुरक्षा प्रदान करना, लेकिन इसके साथ ही इसके नुकसान भी होते हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए।

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